प्रकृतिवाद का अर्थ, परिभाषा, सिद्धांत, उद्देश्य
प्रकृतिवाद का अर्थ (Meaning of Naturalism)
प्रकृतिवाद अंग्रेजी शब्द Naturalism शब्द का हिंदी रूपांतरण है जो दो शब्दों के योग से बना हुआ है Natural+ism इसमें Natural का अर्थ प्रकृति से संबंधित है और ism का अर्थ सिद्धांत, प्रणाली, वाद से संबंधित है इस प्रकार प्रकृति से संबंधित सिद्धांतों का अध्ययन ही प्रकृतिवाद है यहां यह ध्यान देने योग्य है कि प्रकृतिवाद शिक्षा के क्षेत्र में प्रकृति शब्द का प्रयोग तो अर्थों में करते हैं 1.भौतिक प्रकृति और 2.बालक की प्रकृति या मानव प्रकृति भौतिक प्रकृति बाह्य प्रकृति है तथा मानव प्रकृति का अर्थ मूल प्रवृत्तियों, आवेग, क्षमताएं जिन्हें बालक जन्म से अपने साथ लेकर आता है
प्रकृतिवाद की परिभाषा (Definition Of Naturalism)
जेम्स वार्ड के अनुसार– प्रकृतिवाद का सिद्धांत है जो ईश्वर प्रकृति को ईश्वर से पृथक करता है आत्मा को पदार्थ के अधीन करता है और अपरिवर्तनीय नियमों को सर्वोच्चता प्रदान करता है
ब्राइस के अनुसार– प्रकृतिवाद एक प्रणाली है और जो कुछ आध्यात्मिक है उसका बहिष्कार ही उसकी प्रमुख विशेषता है
राफ बर्टन पेरी के अनुसार– प्रकृतिवाद विज्ञान नहीं है वरन विज्ञान संबंधी सुदृढ़ कथन है विशेष रूप से यह दृढ़ अभिमत है कि वैज्ञानिक ज्ञान की अंतिम है तथा उसके बाद विज्ञानेत्तर या दार्शनिक ज्ञान के लिए स्थान नहीं रहता
थॉमस और लैंग के अनुसार– प्रकृतिवाद आदर्शवाद के विपरीत मन को पदार्थ के आधीन मानता है और यह विश्वास करता है कि अंतिम वास्तविकता भौतिक हैं आध्यात्मिक नहीं
हॉकिंग के अनुसार– प्रकृतिवाद, तत्व मीमांसा का वह रूप है जो प्रकृति को पूर्ण वास्तविक मानता है अर्थात यह परा-प्राकृतिक या दूसरे जगत को अपने क्षेत्र से बाहर रखता है
प्रकृतिवादी दर्शन (Naturalism Philosophy)
प्रकृतिवाद के दर्शन दार्शनिक स्वरूप को हम निम्नलिखित शीर्षको के अंतर्गत जान सकते हैं
प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा (Metaphysics Of Naturalism)
प्रकृतिवाद के तत्व मीमांसा निम्न है
- मनुष्य की प्रकृति का अंग है
- मनुष्य प्रकृति का अंग है
- संपूर्ण सृष्टि में नियम विद्यमान है सब कार्य नियमानुसार होते हैं यह नियम प्रकृति के स्वयं के नियम हैं
- प्रकृतिवाद आध्यात्मिकता के विपरीत है
- प्रकृतिवाद आत्मा और पदार्थ का ही अंग मानती है
- प्रकृति ही सब कुछ है इसके परे कुछ भी नहीं
- पदार्थ, जीवन की व्याख्या यह दर्शन भौतिक व रासायनिक नियमों से करता है
- पदार्थ की जगत का आधार है
प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा (Epistemology Of Naturalism)
- सत्य को अनुभव से प्राप्त किया जा सकता है
- रूसो ने शिक्षा के सब स्तरों पर प्रत्यक्ष ज्ञान को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करने के लिए कहा है
- प्रकृतिवादी ज्ञान प्राप्ति के लिए निरीक्षण, वैज्ञानिक विधि या आगमन विधि को महत्वपूर्ण मानते हैं
- प्राकृतिक ज्ञान प्राप्ति का साधन इंद्रियां है
- प्रकृति का ज्ञान प्राप्त करना ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य है
- प्रकृति का ज्ञान ही वास्तविक ज्ञान है
प्रकृतिवाद की मूल्य मीमांसा (Axiology Of Naturalism)
- मनुष्य को अपनी प्रकृति के अनुकूल ही आचरण करना चाहिए
- यह वाद कोई आध्यात्मिक व नैतिक बंधन स्वीकार नहीं करता
- प्रकृतिवादियों ने सुख को सर्वोच्च स्थान दिया है
- समाज द्वारा निर्धारित मूल्यों को यह स्वीकार नहीं करते
- प्रकृतिवादियों के अनुसार मूल्य प्रकृति में ही विद्यमान है
प्रकृतिवाद के मूल सिद्धांत (Principles of Naturalism)
- इसके अनुसार राज्य कि केवल व्यवहारिक सत्ता है
- प्रकृतिवाद का दृष्टिकोण पूर्णत: भौतिकवादी हैं
- प्राकृतिवादियों के अनुसार मनुष्य दु:खी इसीलिए है क्योंकि वह सभ्यता एवं संस्कृति के चक्कर में पड़कर प्रकृति से दूर हो गया है
- प्रकृतिवादियों के अनुसार आत्मा पदार्थजन्य चेतन तत्व है
- संसार का कर्त्ता या कारण दोनों स्वयं प्रकृति हैं
- प्रकृति के नियम अपरिवर्तनीय हैं
- वास्तविकता की व्याख्या केवल प्राकृतिक विज्ञानों के द्वारा की जा सकती है
- मानव की मूल प्रवृत्ति पशुओं के समान होती है
- प्रकृतिवाद के अनुसार समाज व्यक्ति के लाभ के लिए है समाज का स्थान व्यक्ति के बाद आता है
- मस्तिष्क की क्रियाफल ही अनुभव है
- प्रकृतिवाद में धर्म व ईश्वर का कोई स्थान नहीं है
- इस सृष्टि का निर्माण वस्तु या तत्व से हुआ है
- प्रकृति अंतिम सत्ता या वास्तविकता है
- ज्ञान और सत्य का आधार इंद्रियों का अनुभव है
- मनुष्य संसार की सर्वोत्कृष्ट एवं सर्वश्रेष्ठ रचना है
- ब्रह्मांड की रचना एक प्राकृतिक क्रिया है
- यह भौतिक संसार ही सत्य है
प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएं (Features Of Naturalism)
1.सामाजिक न्याय की भावना, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व भावना का विकास– शिक्षा ऐसी हो जिससे लोगों में सामाजिक न्याय की भावना समानता व स्वतंत्रता की भावना व भाईचारे की भावना का विकास हो यही कारण है कि प्रकृतिवादी शिक्षा में किसी भी प्रकार के नियंत्रण अथवा भेदभाव को कोई स्थान नहीं है
2.सहशिक्षा पर बल– बालक बालिकाओं को अलग-अलग शिक्षा देने से उनमें विभेदीकरण की भावना उत्पन्न होती है जो काम भावना को उद्दीप्त करके उसे और तीव्र बनाती है अतः बालक, बालिकाओं की शिक्षा एक स्थान पर होनी चाहिए
3.प्रगतिशील– प्रगतिवादी विचारधारा के अनुसार जिस प्रकार बालक का शरीर विकास आयु के साथ साथ होता है उसी प्रकार शिक्षक को भी प्रगतिशील होना चाहिए बालक को बालक ही समझना चाहिए ना कि प्रौढ़।
4.बालक की स्वतंत्रता– बालक की शिक्षा में हस्तक्षेप न करके उसको स्वतंत्रता देकर शिक्षा ग्रहण करने का अवसर दिया जाना चाहिए इसी कारण प्रकृतिवादी शिक्षा में बालक को विद्यालय, शिक्षक, पुस्तक, शिक्षण विधियों आदि के संबंध में पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है
5.मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित शिक्षा– प्रकृतिवादी मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के परिणाम स्वरूप आज शिक्षा में बाल मनोविज्ञान व शिक्षा मनोविज्ञान को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है इस प्रकार की शिक्षा में बालक के विकास की अवस्थाओं उसके व्यक्तित्व, बौद्धिक स्तर, रुचियां और आवश्यकताओं के अनुसार स्वतंत्र वातावरण में ज्ञान प्रदान किया जाता है
5.इंद्रिय प्रशिक्षण पर बल– शिक्षा को इंद्रियों का उचित प्रयोग करके ज्ञान के द्वार खोलने चाहिए रूसो के अनुसार 5 वर्ष से 12 वर्ष की आयु तक बालक इंद्रियों को प्रयोग में लाना चाहिए इसीलिए प्रकृतिवादी इंद्रियों के प्रशिक्षण को बहुत महत्व देते हैं वह कहते हैं कि इंद्रियों के द्वारा ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है
6.निषेधात्मक शिक्षा– निषेधात्मक शिक्षा के अंतर्गत सत्य की शिक्षा ना देकर असत्य से बचने की शिक्षा दी जाती है तथा गुणों की शिक्षा से महत्वपूर्ण माना जाता है अवगुणों से बचना बताया जाता है
7.पुस्तकीय ज्ञान का विरोध– प्रकृतिवादी पुस्तकीय शिक्षा को अनावश्यक मानते हैं उनका मत है कि इस काल की सबसे अच्छा का आधार करके सीखना निरीक्षण और अनुभव होना चाहिए
8.प्रकृति का अनुसरण– शिक्षा में प्रकृतिवाद का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र 'कॉमेनियस' ने प्रदान किया है वह है– प्रकृति का अनुसरण करो। प्रकृतिवादियों का विश्वास है कि बालक का स्वाभाविक विकास केवल प्रकृति का अनुसरण करके ही हो सकता है
9.बालकेंद्रित शिक्षा– प्रकृतिवादी शिक्षा में 'बालकेंद्रित' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम जॉन ऐडम्स ने किया इसमें शिक्षा का पाठ्यक्रम व परीक्षा के स्थान पर बालक को शिक्षा का केंद्र माना जाता है बालक की प्रकृतिक शक्तियों के विकास पर बल दिया जाता है इससे बालक बाल मनोविज्ञान, किशोर मनोविज्ञान व शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में उन्नति हुई
प्रकृतिवाद तथा शिक्षा के उद्देश्य (Naturalism and aims of Education)
प्रकृतिवादियों के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं
- मानव को एक कुशल यंत्र की भांति काम करना चाहिए
- जातीय सम्प्राप्तियों का संरक्षण करना चाहिए और संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाना चाहिए
- व्यक्तित्व का स्वतंत्र विकास शिक्षा का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए
- आत्म संतोष और आत्म संरक्षण प्राप्त करने में सहयोग करना चाहिए
- नैसर्गिक शक्तियों का विकास बालक का विकास है इस विकास में बालक शारीरिक विकास भी निहित होता है
- अनुकूल वातावरण बनाना और समायोजन करने की बालकों को शिक्षा देनी चाहिए
- शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालक की मूल प्रवृत्तियों का शोधन एवं उचित दिशा में मार्गदर्शन करना होता है
- शिक्षा का उद्देश्य मानव के वर्तमान सुख एवं प्रसन्नता को प्राप्त करना एवं सुरक्षित रखना है
- शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य इस शक्ति का विकास करना होना चाहिए जिसके कारण वहां जीवन संघर्ष में सफल हो सके
प्रकृतिवाद तथा पाठ्यक्रम (Naturalism and Curriculum)
प्रकृतिवादी विद्यार्थी को पाठ्यक्रम का आधार मानते हैं उनका कहना है कि पाठ्यक्रम की रूपरेखा शिक्षार्थी की रुचि, योग्यताओं, क्षमताओं, मूल प्रवृत्तियों, स्वाभाविक क्रियाओं, व्यक्ति भिन्नताओं के आधार पर तैयार करना चाहिए जिससे वह अपनी अभिरुचियों को स्वतंत्रता पूर्वक विकसित करके विकास की विभिन्न अवस्थाओं की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए मानव जीवन को पूर्णता के साथ जी सकें।
प्राय: सभी प्रकृति वादियों ने पाठ्यक्रम के बारे में अपने विचार प्रकट किए हैं
रस्क के अनुसार– कॅमेनियस का उद्देश्य सब मनुष्यों को सब विषय पर आना था वह सब विषयों में से कुछ को चुनना आवश्यक नहीं समझता था
स्पेंसर के अनुसार– स्पेंसर ने मानव क्रियाओं को पांच भागों में बांट कर उनके अनुसार उनसे संबंधित विषय निम्न प्रकार बताए हैं
मानव क्रियाएँ विषय
- आत्म संरक्षण ⟶ शरीर विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान
- जीवन की आवश्यकता ⟶ भौतिक, विज्ञान, गणित, भूगोल
- संतान के पालन पोषण संबंधी ⟶ गृह शास्त्र, शरीर विज्ञान, बाल मनोविज्ञान
- सामाजिक एवं राजनीतिक संबंधों की स्थापना ⟶ इतिहास, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि
- सांस्कृति संबंधी ⟶ कला, भाषा, साहित्य।
प्रकृतिवाद और शिक्षण विधियां (Naturalism and Methods of Teaching)
प्रकृतिवादियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली कुछ प्रमुख शिक्षण विधियां निम्न है
- प्रत्यक्ष विधि
- करके सीखना
- अनुभव द्वारा सीखना
- खेल द्वारा सीखना
- ह्यूरिस्टिक पद्धति
- डाल्टन विधि
- मॉण्टेसरी विधि
- निरीक्षण पद्धति
प्रकृतिवाद के गुण (Merits of Naturalism)
- विद्यार्थियों में पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन करने का श्रेय प्रकृति वादी विचारधारा को ही जाता है
- प्रकृतिवादियो ने स्व-अनुशासन पर बल दिया है उन्होंने दण्ड एवं दमन का विरोध किया है वह बालक को प्राकृतिक परिणामों द्वारा अनुशासन करने पर विश्वास करते थे
- प्रकृतिवादियो ने विद्यालयों में स्वशासन की परिकल्पना को स्वीकार किया
- शाब्दिक शिक्षा अथवा पुस्तके शिक्षा का विरोध किया
- प्रकृतिवाद की सबसे बड़ी देन वैज्ञानिक विषयों का समावेश है
- व्यवहारवादी मनोविज्ञान का प्रारंभ भी प्रकृतिवाद की देन है
- प्राकृतिवादियों के अनुसार बालक पर पूर्व आयोजित शिक्षा योजना लादी नहीं चाहिए वरन् शिक्षा में बालक को स्वतंत्र चुनाव का अवसर देना चाहिए
- प्रकृतिवाद के प्रभाव से शिक्षा में मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति का सूत्रपात हुआ शिक्षा को बाल मनोविज्ञान तथा विकासात्मक मनोविज्ञान पर आधारित किया
- प्रकृतिवाद के कारण ही आज पाठ्यक्रम निर्माण में स्वतंत्रता, सक्रिय, विकास एवं रुचि के सिद्धांत पर बल दिया जाता है
- प्रकृतिवाद के कारण बालक को अब अनेक शक्तियों से परिपूर्ण समझा जाता है अब उसे लघु फ्रॉड नहीं समझा जाता
- बालक की स्वतंत्रता का सर्वप्रथम उदघोष प्रकृतिवादियों ने किया
प्रकृतिवाद के दोष (Demerits of Naturalism)
- प्रकृतिवादी शिक्षा अभावात्मक है इसमें इस बात पर तो बल दिया गया है कि बालक को क्या नहीं खाना चाहिए किंतु क्या सिखाना है इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया
- प्रकृतिवादी केवल उसी ज्ञान को सिखाने के लिए कहता है जिसकी तात्कालिक उपयोगिता हो
- प्रकृतिवाद में प्राकृतिक परिणामों द्वारा अनुशासन की बात कही गई है किंतु सत्य को या है तो यह है की प्रकृति का न्याय नैतिकता पर आधारित नहीं होता क्योंकि बालक को सब काम खुद करके देखने के लिए स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता हैं
- प्रकृतिवाद में शिक्षक को गौण स्थान दिया गया है इससे बालक के विकास पर वांछित प्रभाव पड़ना असंभव है
- प्रकृतिवादी बालक को समाज के बंधनों से दूर रखना चाहता है जबकि बालक एक सामाजिक प्राणी है बिना समाज के उसका पूर्ण विकास संभव नहीं है
- प्रकृतिवादी शिक्षा में आध्यात्मिकता लक्ष्य पूर्णतया अनुपस्थित है वह परलोक एवं ईश्वर में विश्वास नहीं रखते जिसके बिना जीवन अधूरा है
- प्रकृतिवादी पुस्तकों के विरोधी हैं जबकि पुस्तकों पुस्तकें अनुभवों ज्ञान एवं संस्कृति का भंडारा है उनकी उपेक्षा अनुचित है
- प्रकृतिवाद पाठ्यक्रम में साहित्यिक विषयों को गौण स्थान देता है जबकि वैज्ञानिक विषयों को प्रमुख इसीलिए पाठ्यक्रम में दोनों का संतुलन होना आवश्यक है
- प्रकृतिवाद स्वतंत्रता पर आवश्यकता से अधिक बल देता है किंतु सीमा से अधिक स्वतंत्रता देना स्वयं बालक के हित में नहीं है
- प्रकृतिवाद में उच्च शैक्षिक उद्देश्यों का अभाव है इसके अंतर्गत लक्ष्य के आधार पर शिक्षा की योजना नहीं बनना नहीं बनती वरन् सहज प्रवृत्तियों के आधार पर शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है
- प्रगतिवादी भविष्य की तुलना में वर्तमान पर आवश्यकता से अधिक जोर देते हैं
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